Top 10 moral Stories in Hindi नैतिक कहानियाँ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये कहानियाँ हमें मूल्यों, सत्य, ईमानदारी, समझदारी और सही और गलत के बीच अंतर को समझाती हैं। हिंदी भाषा में एक अद्वितीय रूप से व्यक्तिगतता और ज्ञान का अनुभव करने की वजह से हमें हिंदी में नैतिक कहानियाँ पढ़ने और सुनने का आनंद अपार होता है।
Top 10 moral Stories in Hindiइस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके लिए शीर्ष 10 हिंदी में नैतिक कहानियाँ लेकर आएंगे जो आपको ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और मनोरंजक अनुभव प्रदान करेंगी। ये कहानियाँ बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए सर्वाधिक प्रभावशाली हैं और आपके चरित्र निर्माण में मदद करेंगी।
Top 10 moral Stories in Hindi
1. लालची शेर
बेनोरा नामी जंगल में एक लालची शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह जंगल में शिकार खोजने निकल पड़ा। कुछ दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखाई दिया। तो उसने सोचा कि उसे बहुत तेज भूख लगी है और यह खरगोश तो काफी छोटा है। इससे भूख नहीं मिटेगी। इसलिए उसे छोड़कर आगे निकल गया।
कुछ दूर और आगे जाने पर उसे एक हिरण का बच्चा मिला। जिसे देखकर शेर को फिर वही ख्याल आया की इससे तो उसकी भूख नहीं मिटेगी। इसलिए वह हिरण के बच्चे को छोड़कर, बड़े शिकार की तलाश में आगे निकल गया। चलते-चलते काफी देर हो गई और फिर अब की बार उसे एक बकरी मिली जो कि बड़ी थी लेकिन शरीर से कमजोर थी।
इसलिए शेर न सोचा की इसे भी खाने में कोई खास मजा नहीं आएगा। अतः उसको भी छोड़कर अगले शिकार की तलाश में निकल जाता है।
और इसी तरह करते-करते शाम हो जाती है। और लालची शेर एक अपने लालच के कारण कोई भी शिकार नहीं कर पाता है। इसलिए वह खाली हाथ ही अपने गुफा में वापस लौट आता है। और वह लालच करने की वजह से उस दिन भूखे पेट ही सो जाता है।
moral (शिक्षा): इस कहानी की मोरल है लालच करने से अक्सर हम अपनी खुद की हानि करते हैं। एक लालची मनुष्य कभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं होता है और वह हमेशा कुछ नया और बड़ा ढूंढ़ता रहता है।
2. लालची व्यापारी
गोपाल नामक एक व्यापारी एक गांव में निवास करता था, जो खाने के तेल का व्यापार करता था। उसे शहर से तेल मंगवाना पड़ता था और उसे गांव में बेचना होता था। कुछ महीनों में ही उसका व्यापार बहुत अच्छे रिती से चलने लगा और इससे उसकी कमाई भी बढ़ गई। एक दिन, लालच उसके मन में उठ आया और उसने सोचा कि अब लोग उससे बहुत आसानी से तेल खरीद लेंगे। मॉरल सने सोचा कि अब उसे और ज्यादा धन कमाने का अवसर मिल गया है। उसने यह सोचकर तेल में मिलावट करना शुरू कर दी।
अब वह शहर से तेल मंगवाता था, उसमें मिलावट करता था, और फिर गांव में उसे बेचता था। पहले कुछ दिन सब अच्छी तरह से चल रहा था, लेकिन कुछ दिनों बाद से गांव के लोग बीमार होने लगे और धीरे-धीरे सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। जब उन्होंने इलाज के दौरान डॉक्टर से परामर्श लिया, तो डॉक्टर ने बताया कि उनके खाने-पीने में मिलावट की गई है, जिसके कारण वे सभी बीमार हो गए हैं।
गांव के निवासी बताएं कि वे धनपाल नामक एक व्यापारी से तेल खरीदते थे, जिसका तेल कुछ दिनों से ख़राब हो गया था। शायद वही मिलावट कर रहा था। सभी गांव के निवासी ने इस सूचना को पुलिस को दी। पुलिस ने तत्काल उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और उसे जेल में बंद कर दिया।
moral (शिक्षा): यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम अपनी लालच की परवाह करते हैं, तो हम अक्सर खुद को बिगाड़ते हैं।
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3. बहादुरी की कीमत
एक दिन मोनू जंगल से होकर गुजर रहा था। अचानक डाकुओं के एक गिरोह ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। वे सभी अपने हाथों में चाकू लिए हुए खड़े थे। उनका सरदार चिल्लाते हुए मोनू से बोला, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है, चुपचाप निकालकर हमें दे दो।” लेकिन मोनू निडर होकर बोला, “मैं तुम्हें एक भी पैसा नहीं दूंगा। तुमसे जो बन पड़े, कर लो।
” सरदार ने मोनू की तरफ चाकू बढ़ाते हुए कहा, “हमारा कहा मान लो, वरना हम तुम्हें मार डालेंगे।” लेकिन मोनू जरा भी नहीं डरा। मोनू ने बहादुरी से डाकुओं का मुकाबला करना चाहा, परन्तु कहाँ वह अकेला और कहाँ वे कई सारे। डाकू उसे पकड़कर उसके कपड़ों की तलाशी लेने लगे। तलाशी लेने पर उन्हें उसकी जेब में सिर्फ एक रुपया ही मिला।
यह देखकर उनका सरदार बोला, “यह युवक सिर्फ एक रुपए के लिए हमसे भिड़ पड़ा। मैं आश्चर्यचकित हूँ कि यह अधिक धन के बचाव के लिए क्या करता। मैं इसके साहस का सम्मान करता हूँ। इस तरह के निडर लोग बहुत कम होते हैं।” यह कहकर सरदार ने मोनू को छोड़ दिया।
moral (शिक्षा): इस कहानी का मोरल है “साहस और समर्पण से छोटे पैमाने पर भी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया जा सकता है।”
4.खरबूजे की ख्वाहिश
एक बार की बात है, एक ऊंट और लोमड़ी एक नदी के पास रहते थे। बे अच्छे दोस्त थे। एक दिन लोमड़ी को पता चला, कि नदी के उस पर एक पके हुए खरबूजे का खेत है। उसके मुंह में पानी आ गया। लेकिन वह नदी पार नहीं कर सकता था। इसलिए, लोमड़ी ऊंट के पास गया और उसे खरबूजे के बारे में बताया।
ऊंट भी खरबूजे खाना चाहता था। उसने लोमड़ी को अपनी पीठ पर चढ़ाकर नदी पार किया। दोनों खेत में पहुंचे, बे खरबूजे खाने लगे। फिर लोमड़ी जोर जोर से चिल्लाने लगा। खेत का मलिक दौड़ता हुआ आया, और ऊंट को पीटने लगा। जब मलिक चला गया, तो ऊंट ने लोमड़ी से पूछा। “तुमने क्यों चिल्लाया?” लोमड़ी ने जवाब दिया, “भारी भजन के बाद चिल्लाना मेरी आदत है।”
फिर दोनों नदी पार करने के लिए लौट आए। ऊंट की पीठ पर लोमड़ी कूद गया। जब वे पानी के बीच में था, तो ऊंट पानी में डुबकी लगाने लगा। लोमड़ी तैरना नहीं जानता था, वह डूब रहा था। लोमड़ी बहुत परेशान होकर ऊंट से पूछा, “तुम पानी में क्यों डूब रहे हो?” ऊंट जवाब दिया, “भारी भजन के बाद पानी में डूबना मेरी आदत है। लोमड़ी बड़ी मुश्किल से भी खुद को बचा नहीं सके।
moral (शिक्षा): इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें ध्यान देना चाहिए कि हमारे कर्मों और व्यवहार का परिणाम हमें ही भुगतना पड़ता है। जैसी करनी वैसी भरणी।
5. बेवकूफ बना आदमी
एक बार, एक आदमी ने एक किसान को अपना पानी का कुंआ बेचा। अगले दिन, जब किसान उस कुएं से पानी लेने के लिए गया।
तो उस आदमी ने किसान को पानी लेने नहीं दिया। उसने कहा, “मैंने तुम्हें कुआं बेचा है, पानी नहीं। इसीलिए, तुम इस कुएं से पानी नहीं ले सकते।”
किसान बहुत दुखी हुआ, और राजा के दरबार में आया। उसने राजा को सब कुछ बताया, और विचार मांगा। राजा ने उस आदमी को बुलाया, जिसने किसान को कुआं बेचा था।
राजा ने पूछा, “तुम किसान को कुएं का पानी का उपयोग क्यों नहीं करने देते। जब किसान उस कुआं को खरीदा है। आपने कुआं बेच दिया है।”
उस आदमी ने जवाब दिया, “महाराज, मैंने किसान को कुआं बेचा है, पानी नहीं। उसे, कुएं से पानी लेने का कोई अधिकार नहीं है।”
तब महाराज ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, लेकिन देखो, तुमने इस किसान को कुआं बेचा है। और तुम दावा करते हो कि, उस कुएं में पानी तुम्हारा है।
तो तुम्हें, अपना पानी किसान के कुएं में रखने का कोई अधिकार नहीं है। या तो आप किसान को उसके कुए में तुम्हारा पानी रखने के लिए किराया दो।
या आप उस कुएं से तुरंत तुम्हारा सारा पानी निकाल लो।” वह आदमी समझ गया, कि उसकी चाल विफल हो गई है। महाराज ने उसे पकड़ लिया है।
moral (शिक्षा): इस कहानी का मोरल है कि हमें ईमानदारी और न्यायपूर्वक व्यापार करना चाहिए।धोखेबाज़ी और अन्यायपूर्ण आचरण से हमारी पहचान और व्यापारिक गरिमा को हानि पहुंचती है। दूसरों के संपत्ति और संसाधनों का अनुचित उपयोग करने का नुकसान हमेशा खुद को ही होता है।”
6. चालाक किसान
एक दिन एक किसान मेले से अपने घर लौट रहा था। उसने मेले से एक भैंस ने खरीदी थी। जब वह घने जंगल से होकर गुजर रहा था, एक डाकू उसका रास्ता रोक लिया। उसके हाथ में एक मोटा-सा डंडा था।
वह बोला, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह सब मुझे दे दो।” । किसान डर गया। उसने अपने सारे पैसे डाकू को दे दिए। तब डाकू बोला, “अब मुझे तुम्हारी भैंस भी चाहिए।” यह सुनकर किसान ने भैंस की रस्सी भी भी डाकू के हाथ में दे दी।
फिर किसान बोला, “मेरे पास जो कुछ भी था, मैंने सब तुम्हें दे दिया। कृपा करके आप मुझे अपना डंडा दे दीजिए।” डाकू ने पूछा, ” लेकिन तुम्हें इसकी क्या आवश्यकता है?” वह बोला, “मैं यह डंडा अपनी पत्नी को दूंगा ।
यह डंडा देखकर वह बड़ी खुश होगी कि मैं मेले से उसके लिए कुछ तो लाया हूँ।” डाकू ने डंडा किसान को दे दिया। किसान ने बिना वक्त गंवाए डाकू को जोर-जोर से मारना शुरू कर दिया।
डाकू पैसे और भैंस छोड़कर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। इस तरह से बुद्धिमान किसान ने अपना सामान डाकू से बचा लिया।
moral (शिक्षा): किसान ने डाकू के सामरिक और उत्पन्न संपत्ति को देकर उसे छल से वश में लिया और खुद को बचा लिया।
7. दोस्ती का तार, भूल जाओ अभिमान
एक बार दो मित्रों को किसी काम से दूसरे गाँव जाना था। मार्ग में एक मित्र ने पेड़ पर तलवार लटकती हुई देखी। उसने आगे बढ़कर वह तलवार पकड़ ली और खुशी से चिल्लाया,”मुझे कितनी बढ़िया तलवार मिली है।”
दूसरे मित्र ने उसे टोकते हुए कहा, “हम दोनों साथ सफर कर रहे हैं, इसलिए ‘मुझे’ मत कहो। तुम्हें कहना चाहिए कि हमें तलवार मिली है।” “अरे नहीं। तलवार को मैंने देखा है, इसलिए यह मेरी है।”
कहकर उसने तलवार बगल में दबा ली। दोनों साथ-साथ आगे बढ़ने लगे कि तभी सामने से कुछ लोगों का झुंड आता दिखाई दिया। पास आकर उन्होंने तलवार वाले मित्र को यह कहते हुए पकड़ लिया कि “यही खूनी है।
इसे छोड़ना मत। इसे पकड़कर जेल में डाल दो ।” यह सुनकर वह बोला, “लगता है, हम किसी मुसीबत में पड़ गए हैं।” दूसरा मित्र बोला, “हम नहीं सिर्फ ‘तुम’ मुसीबत में फंस गए हो।”
moral (शिक्षा): इस कहानी का मोरल है कि हमें अहंकार से दूर रहना चाहिए।
8. भूखा बाज और भोले कबूतर
एक बार एक भूखा बाज कबूतरों के झुंड पर झपटा। कबूतरों का झुंड हमेशा उसकी पकड़ से बच निकलता था।
सारे कबूतर उस बाज से भयभीत रहते थे और उसके आक्रमण से बचने के लिए सतर्क रहते थे ।
बाज काफी दिनों से उन पर नजरें गड़ाए था। उसने एक योजना बनाई और कबूतरों के पास जाकर बोला,
“इस तरह से डर-डरकर जीने से क्या लाभ? इससे अच्छा तो यही है कि तुम लोग मुझे अपना राजा बना दो ताकि मैं हर तरह के संकट से तुम लोगों की रक्षा कर सकूँ ।”
कबूतरों को यह बात पसंद आई। उन्हें लगा कि बाज उनकी भलाई चाहता है। उन्होंने बाज को अपना राजा बना दिया।
राजा बनते ही बाज ने एक-एक करके सारे कबूतरों को खाना शुरू कर दिया।
moral (शिक्षा): धोखा खाने से पहले विचार करें और अन्यों की सलाह पर भरोसा न रखें।
9. कौआ और बाज़: मूर्खता का मूकदर्शक
एक पहाड़ी की चोटी पर एक बाज रहता था। घाटी में एक बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था।
कौआ मूर्ख और आलसी था तथा वह भोजन की तलाश में कोई मेहनत नहीं करना चाहता था। वह सोचा करता था कि उसे उसी पेड़ के नीचे एक बिल में रहने वाले खरगोश खाने को मिल जाएँ। बाज कभी-कभी ऊपर से झपट्टा मारकर खरगोशों का शिकार किया करता था।
खरगोशों का स्वादिष्ट माँस खाने के विचार से ही कौए के मुँह में पानी आने लगा।
एक दिन, उसने निश्चय किया कि वह भी बाज की तरह की खरगोश का शिकार करेगा। अगले दिन कौआ बहुत ऊँचाई तक उड़ा और जब उसकी निगाह एक खरगोश पर पड़ी,
तो उसने वहाँ से नीचे आकर एकदम से झपट्टा मारकर उसे पकड़ने की कोशिश की। खरगोश ने कौए को देख लिया और एक चट्टान के पीछे छिप गया।
कौआ एकदम से नीचे आया और चट्टान से टकरा गया । उसकी वहीं पर मौत हो गई। किसी ने सच ही कहा है, कि किसी की बिना सोचे-समझे नकल नहीं करनी चाहिए।
moral (शिक्षा): सोच-समझकर नकल करें
10. धोखेबाज मेढ़क और दोस्ती की चपेट
एक दुष्ट मेंढक ने एक चूहे से दोस्ती कर ली। एक दिन दोनों यात्रा पर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक तालाब मिला।
चूहे को पानी में जाने से डर लग रहा था लेकिन मेंढक ने कहा कि वह तालाब पार करने में चूहे की सहायता करेगा।
उसने चूहे की टाँगें अपनी टाँगों से बाँध ली और पानी में कूद पड़ा। जब मेंढक तालाब के बीच गहरे पानी में पहुंचा तो वह चूहे को पानी में नीचे खींचने लगा।
चूहे ने अपने को छुड़ाने की बहुत कोशिश की और उनकी खींचतान से पानी में काफी हलचल होने लगी। हलचल देखकर तालाब के ऊपर उड़ रहे एक बाज वहाँ आ गया।
वह नीचे आया और चूहे को अपने पंजे में दाबकर उड़ गया। धोखेबाज मेंढक की टाँगें भी उसकी टाँगों के साथ बँधी थी, इसलिए वह भी चपेट में आ गया और चूहे के साथ वह भी बाज की पकड़ में आ गया |
moral (शिक्षा): जो दूसरों को हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं, वे स्वयं भी अपने ही कार्यों से हानि उठाते हैं।