Short story in Hindi with moral
Short story in Hindi with moral हिंदी कहानियाँ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण रोल निभाती हैं। इन कहानियों से हमें नैतिकता, सामाजिक मूल्यों और धार्मिकता की शिक्षाएं प्राप्त होती हैं। इन कहानियों के माध्यम से हम अच्छे निर्णय लेने और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता प्राप्त करते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम विभिन्न प्रकार की हिंदी कहानियों को साझा करेंगे, जो आपके जीवन को सजाएंगी और आपको प्रेरित करेंगी।
1. बंदर और मेंढ़क
बहुत साल पहले की बात है, एक जंगल में एक बंदर और एक मेंढ़क रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हर रोज़ साथ में घूमने जाते थे।
एक दिन, बंदर ने अपनी आंखों की समस्या की शिकायत की। उसकी आंखें धीरे-धीरे खराब हो रही थीं और उसे साफ़ दिखाई नहीं देता था। उसने मेंढ़क से कहा, “मेरी दोस्त, मेरी आंखों में कुछ गड़बड़ी हो रही है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”
मेंढ़क ने उसे समझाया, “बंदर, तू चिंता मत कर। मैं तेरी मदद करूँगा। बस मेरी बातों का पालन करना।”
फिर दोनों घूमने निकल पड़े। मेंढ़क ने एक चश्मा लिया और उसे बंदर की आंखों पर रखा। अचानक, बंदर की आंखों की दृष्टि में सुधार हो गया। उसे बहुत अच्छा दिखाई देने लगा।
बंदर बहुत खुश हुआ और मेंढ़क को धन्यवाद दिया। उसने कहा, “तूने मेरी बड़ी मदद की है। मैं तुझे कैसे धन्यवाद दूँ?”
मेंढ़क मुस्कराया और कहा, “बंदर, तेरी मदद करने के लिए मैंने तुझसे कुछ नहीं मांगा। मेरी आपक्षा में तुझे मेरी सहायता करने का मौका मिला। मेरी मदद करने से मुझे खुशी मिली।”
सिख(Moral):
यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाती है – दोस्ती में सहायता करने से खुशी मिलती है। हमें अपने दोस्तों की मदद करनी चाहिए और खुद को सिर्फ़ लेने वाला नहीं बल्की देने वाला भी बनना चाहिए। एक अच्छा दोस्त हमारे साथ हमारे दुःखों और सुखों में हमेशा साथ देता है।
2.चालाक खरगोश और आदमी का लालच
एक जंगल में एक चालाक खरगोश रहता था। वह बहुत ही तेज और होशियार था। उसके पास एक दोस्त आदमी भी था। दोनों मिलकर बहुत अच्छे दोस्त थे।
एक दिन, खरगोश ने आदमी से कहा, “मेरे पास एक मायावी गाजर है, जो तुम्हें बहुत सारा पैसा कमा सकता है।”
आदमी बहुत खुश हुआ और पूछा, “कैसे?”
खरगोश ने कहा, “जब तुम वह गाजर किसी के सामने लाओगे, तो उसे लेने वाला अपनी सभी संपत्ति को तुम्हें देना चाहेगा। बस तुम गाजर उसके सामने रखोगे और वह सब कुछ तुम्हें देगा।”
आदमी ने लालच देखकर खरगोश की बातों पर विश्वास कर लिया और उस गाजर को लेने के लिए लोगों के पास गया। हर कोई उस गाजर को देखकर हैरान हो गया और वह उसे लेने के लिए अपनी संपत्ति सब कुछ दे रहे थे। आदमी खुशी खुशी सब कुछ जमा करता रहा।
लेकिन जब वह खरगोश के पास वापस गया, तो उसने देखा कि खरगोश वहीं खड़ा है और उसके पास कोई गाजर नहीं है। आदमी बहुत ही नाराजगी से बोला, “तूने मुझे धोखा दिया। तूने कहा था कि जो भी मेरे सामने गाजर रखेगा, मैं उसे सब कुछ दूंगा।”
खरगोश धीमी आवाज में हंसा और कहा, “मेरे दोस्त, मैंने तुमसे सिर्फ एक सबक सिखाने का प्रयास किया है। लालच से आदमी खुद को धोखा देता है।”
सिख(Moral):
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें आपातकाल में ध्यान रखना चाहिए और लालच से दूर रहना चाहिए। अगर हम अन्यायी तरीके से धन कमाने की कोशिश करेंगे, तो यही हमें नुकसान पहुंचा सकता है। ईमानदारी और सत्य पर चलने से हमेशा हमारी बढ़ती हुई सम्पत्ति और सम्मान होता है।
3.साथी और वनवासी का संघर्ष
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक साथी और वनवासी अपने परिवारों के साथ रहते थे। दोनों बहुत ही निकट सबंध रखते थे और हर मुश्किल में आपस में सहायता करते थे।
एक बार, उन्होंने सुना कि बाहरी दुनिया में एक बहुत ही प्रशिद्ध और अमीर राजा रहता है। उन्हें यह सुनकर एक लालच भरी उमंग हुई और वे उस राजा के पास जाने का निर्णय लिया।
साथी ने वनवासी से कहा, “मेरे प्यारे दोस्त, हमें उस राजा के यहां जाने का अवसर मिला है। यदि हमें उससे मिलने में सफलता मिली तो हम धनवान और प्रसिद्ध हो जाएंगे।”
वनवासी ध्यान से सुन रहा था और फिर उसने कहा, “मेरे प्यारे साथी, मेरे विचार में धन और प्रसिद्धि से अधिक महत्वपूर्ण है हमारा दोस्ताना बंधन। यदि हम अपनी जीवन की वास्तविक मूल्य को समझेंगे तो हमें बहुत अधिक सुख मिलेगा।”
साथी की आंखों में लालच का प्रकाश दिख रहा था, और वह अपनी मतभेदी बात चालू रखने के लिए तैयार था। वह राजा के द्वार पहुंचा और अपनी योजना को प्रस्तुत करने लगा।
वनवासी वहां नहीं था, वह उसके बजाय वन में अपने परिवार के साथ व्यस्त था। वह जिन्दगी के असली सुख का आनंद ले रहा था और अपने दोस्त को अपने मार्ग पर छोड़ दिया।
साथी को राजा ने अपने पास बुलाया और धनवान और प्रसिद्ध बनाने की प्रतिज्ञा की। उसने सभी सुखों को प्राप्त कर लिया था, लेकिन जीवन के असली मूल्य को समझने में उसे कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।
सिख(Moral):
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि धन और प्रसिद्धि के पीछे दौड़ते हुए हम अपने सच्चे मित्रों और अपने संगठनिक रिश्तों को भूल जाते हैं। सच्ची खुशी और सुख उसमें है जब हम सम्पूर्णता के साथ अपने प्रियजनों के साथ होते हैं और संघर्षों के साथ उन्हें समर्पित रहते हैं।
4. खुशनुमा बादलों की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक छोटी सी लड़की रहती थी। उसका नाम नीलम था। वह बचपन से ही बादलों से बहुत प्यार करती थी। हर बार जब भी उसे बादलों को देखने का मौका मिलता, वह बहुत खुश हो जाती थी।
एक दिन, नीलम अपने दोस्त के साथ खेल रही थी। तभी आकाश में काले बादल छाए और हवा भी तेज हो गई। दोस्त डर गया और घर की ओर दौड़ने लगा, लेकिन नीलम ठहरी रही। वह बादलों की गहरी गर्मी को महसूस कर रही थी।
धीरे-धीरे बारिश शुरू हो गई और सभी बच्चे आपस में भाग लिए। नीलम भी घर की ओर लौटने लगी, लेकिन राह बहुत गंभीर हो गई। उसे लग रहा था कि बादल उसे अपने नीचे रखने की कोशिश कर रहे हैं। बादल ने धीरे-धीरे अपनी बूंदों से नीलम को छूने लगे।
नीलम देखकर चमकीले आंखों से कहीं भीगने लगी और बादलों का आभार अदा करने लगी। उसे यह एहसास हुआ कि बादलों का जीवनदायी काम होता है। वे हमेशा हमारी जरूरतों को पूरा करते हैं और हमें सुख देते हैं।
सिख(Moral):
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें दूसरों के सहयोग का आभार अदा करना चाहिए। जैसे बादल बारिश के माध्यम से हमें सुख देते हैं, वैसे ही हमें दूसरों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद करना चाहिए। सच्ची मित्रता और सहयोग से हम सभी को जीवन में अधिक खुशी और समृद्धि मिलती है।
5. विनम्रता की कहानी
एक गांव में एक युवक रहता था, जिसका नाम आदित्य था। वह बहुत ही साहसिक और अहंकारी आदमी था। उसका मानना था कि वह सबसे अच्छा है और सबको नीचा देखता है। उसकी अहंकार में उसे खुद को खो देने का एहसास नहीं था।
एक दिन, आदित्य गांव के निकट एक बुद्धिमान साधु बाबा से मिलने गया। बाबा ने आदित्य की अहंकारी आदत को देखकर मुस्कान की और उससे कहा, “बेटा, अहंकार और गर्व आपको सिर्फ नुकसान पहुंचाते हैं। इससे आपका व्यक्तित्व बिगड़ता है और लोग आपसे दूरी बनाते हैं।”
आदित्य बाबा की बातों को अनदेखा करते हुए कहने लगा, “मुझे आपके ज्ञान की जरूरत नहीं है। मैं खुद ही बहुत सबक सीखने के लिए सक्षम हूँ।”
बाबा ने मुस्कान की और कहा, “बेटा, सच्चा ज्ञान और समझ विनम्रता के साथ ही प्राप्त होते हैं। अहंकार और उबाऊ व्यक्ति कभी समझदार नहीं बन सकता।”
आदित्य को बाबा के शब्दों पर गौर करने की जरूरत महसूस हुई। वह अपनी अहंकारी आदतों को छोड़कर नये रास्ते ढूंढ़ने का निर्णय लिया।
जीवन के साथ आदित्य की व्यक्तित्व में सुधार हुआ। वह दूसरों की बातें सुनने और समझने लगा। उसने विनम्रता और सहनशीलता की महत्वता समझी और अपने गुणों को सुधारने का प्रयास किया।
धीरे-धीरे, आदित्य के चारों ओर लोग उसकी विनम्रता और सच्चाई को महसूस करने लगे। वह जीवन के हर पहलू में सफल होने लगा और सभी लोगों का सम्मान जीतने लगा
सिख(Moral):
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें विनम्रता, सच्चाई और समझ की महत्वता समझनी चाहिए। अहंकार और उबाऊता हमें केवल समस्याओं में डालते हैं, जबकि विनम्रता और सहनशीलता हमें उन समस्याओं से निपटने की सामर्थ्य प्रदान करती हैं।
6. नौकरी की तलाश
राजेश एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाला युवक था। उसने हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी की थी और नौकरी की तलाश में था। वह अपनी क्षमताओं और अनुभव के आधार पर एक अच्छी नौकरी ढूंढ़ रहा था।
राजेश को कई संदर्भों में नौकरी द्वारा निराशा मिलती रही। उसे कई बार नियोक्ताओं द्वारा नकारा जाना पड़ा और इससे उसकी स्वाभाविक आत्मविश्वास पर असर पड़ा।
एक दिन, राजेश एक रोज़गार मेले में जा पहुंचा। वहां उसने अपने रेज़्यूमे को कई कंपनियों को सुपुर्द किया और साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।
परिणामस्वरूप, एक कंपनी ने उसे नौकरी के लिए चयनित किया। राजेश बहुत खुश था, लेकिन नौकरी की शर्तों ने उसके दिल को थोड़ा दबा दिया। नौकरी में वेतन कम था और काम का दबाव ज्यादा था।
राजेश दिल टूट गया था, लेकिन उसने इस अवसर को ग्रहण किया और नौकरी स्वीकार कर ली। उसने यह सोचा कि कम वेतन के बावजूद वह नौकरी में अपने काम का परिपूर्ण ध्यान देकर उसमें सफल हो सकता है।
वक्त बितते हुए राजेश ने अपनी परवरिश की और काम में अपना बेहतरीन दम दिखाया। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत और समर्पण ने उसे प्रशंसा के आदान-प्रदान में ला दिया।
समय के साथ, राजेश के कार्य में उन्नति हुई और उसे बढ़ते दायित्व मिलने लगे। उसकी मेहनत, संघटनशीलता और सक्रियता ने उसे उच्चतम पद पर पहुंचा दिया।
सिख(Moral):
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी भी किसी भी नौकरी को अपनाने से इंकार न करें। किसी भी नौकरी में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है कि हम किसी भी परिस्थिति में अपने काम का मान करें, समर्पण दिखाएं और मेहनत करें। इसी से हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति होगी और सफलता की ऊंचाइयों को हम छू सकेंगे।
7. आत्मविश्वास की महत्ता”
एक समय की बात है, एक छोटा सा बंदर जंगल में रहता था। वह बंदर बहुत ही खुशनुमा और खेलने की आदत रखता था। एक दिन, उसे एक बंदर दिखाई दी जो उससे थोड़ा बड़ा था। वह बंदर बड़े और शक्तिशाली दिख रहा था और सभी उसे बड़े सम्मान से देख रहे थे।
छोटा बंदर ने उसे देखकर आत्मविश्वास हार गया और सोचा, “मैं तो इतना छोटा हूँ, और वह इतना बड़ा और ताकतवर है। क्या मैं कभी उसकी तरह बन सकता हूँ?”
एक दिन, बंदरों का राजा एक खेल आयोजित करने का फैसला किया। उन्होंने सभी बंदरों को बुलाया और कहा, “आज हम एक पेड़ के ऊपर से आवाज़ से छलांग लगाने की प्रतियोगिता करेंगे। जो बंदर सबसे दूर तक छलांग लगाएगा, वही विजेता होगा।”
सभी बंदर उत्साहित हो गए और प्रतियोगिता शुरू हो गई। छोटा बंदर भी उत्साहित होकर पेड़ के ऊपर चढ़ गया। जब उसकी बारी आई, वह थोड़ा डर गया और छलांग नहीं लगा पाया। सभी बंदर उसे हँसते हुए देखने लगे।
इसके बाद, वह बड़ा बंदर आया और बड़ी ही आत्मविश्वास के साथ एक ऊची छलांग लगाई। सभी बंदरों ने उसे ज़ोरदार तालियां बजाईं। छोटा बंदर बड़े बंदर के पास गया और पूछा, “तुमने तो इतनी ऊची छलांग लगाई, कैसे किया?”
बड़ा बंदर मुस्कुराया और कहा, “बेटा, तेरे पास जितना शक्ति और क्षमता नहीं हो सकता, लेकिन तुझमें वह साहस है। अपने आप पर विश्वास रख, और तू भी किसी भी चीज़ को हासिल कर सकता है।”
सिख(Moral):
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए। हमारी विभिन्न क्षमताओं और योग्यताओं में विश्वास रखें और किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम करें। यदि हम आत्मविश्वास से काम करें, तो हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
8. सहायता की चमक: गरीब लड़का और बुढ़िया की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक बहुत ही गरीब लड़का रहता था। वह लड़का बड़ी मेहनत करता था और हर रोज़ अपने गांव में सबसे पहले उठकर काम करता था। वह अपने माता-पिता का प्यार और सम्मान जीना चाहता था, लेकिन उसके पास कोई संपत्ति नहीं थी।
एक दिन, उसने सड़क पर एक अन्धा बुढ़िया देखी। बुढ़िया बहुत ही दुखी और बेसहारा दिख रही थी। बच्चा दया करके बुढ़िया के पास गया और पूछा, “आपको क्या चाहिए दादी मा? मैं आपकी मदद कर सकता हूँ।”
बुढ़िया ने गरीब लड़के को देखा और बहुत खुश हुई। उसने कहा, “मेरे पास कुछ खाने का थाली है, लेकिन मैं इसे खोलने के लिए किसी की सहायता की आवश्यकता है। क्या तुम मेरी मदद करोगे?”
लड़का ने दिलसे कहा, “जी हां, दादी मा, मैं आपकी मदद करूँगा।”
बुढ़िया ने थाली को खोला और अपने चेहरे पर खुशी की मुस्कान देखी। वह बच्चे को धन्यवाद कहकर बहुत खुश हुई और कहा, “बेटा, तुमने मेरी जिंदगी में चमक दी है। मैं तुम्हारी आत्मा को बधाई देती हूँ।”
उस दिन से आगे बढ़ते हुए, बच्चा और बुढ़िया एक-दूसरे की सहायता करने लगे। बच्चा ने अपनी मेहनत से थोड़ी सी संपत्ति इकट्ठी की और उसने उसे बुढ़िया को सौंप दी।
सिख(Moral):
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि दूसरों की मदद करने का महत्व और जीवन में सहायता करके हम अपने जीवन को धन्यवादपूर्वक बना सकते हैं। हमें गरीबों और असहाय लोगों की मदद करनी चाहिए, और हमारी संपत्ति को साझा करके और उन्हें खुश रखकर दूसरों की जिंदगी में चमक ला सकते हैं।
9. फूल की मदद
क समय की बात है, एक छोटा सा गांव था जहां बहुत सारे बच्चे रहते थे। वहां के बच्चों में दो बहुत अच्छे दोस्त थे, राजू और सुरेश। वे दोनों हमेशा साथ खेलते, पढ़ाई करते और एक दूसरे की मदद करते थे।
एक दिन, राजू ने सुरेश से कहा, “सुरेश, चलो हम जंगल में घूमने चलें। वहां हमें खूबसूरत फूल, पक्षियों की आवाज़ और हरी-भरी पेड़-पौधों का आनंद मिलेगा।”
सुरेश भी उत्साहित हो गया और दोनों बच्चे जंगल की ओर चल पड़े। वहां पहुंचकर वे खूबसूरत फूलों को देखकर हैरान रह गए। राजू ने एक फूल उठाया और खुशी से उसकी खुशबू को महसूस किया। वह फूल सुरेश को दिखाने के लिए उसे बच्चे के पास जाने के लिए कहा।
रास्ते में जब वे चल रहे थे, तभी राजू ने देखा कि सुरेश दौड़ते दौड़ते रुक गया। राजू ने सुरेश से पूछा, “तू क्यों रुक गया है, सुरेश?”
सुरेश ने दुखी मन से कहा, “राजू, मेरे पास तो फूल नहीं है। मैंने उसे रास्ते में गिरा दिया है।”
राजू ने उसकी तरफ देखा और देखा कि सुरेश के हाथों में खाली फूल की पैड़ी है। उसे देखकर राजू को खेद हुआ। उसने सुरेश के पास चलकर अपना फूल सुरेश को दिया और कहा, “यह ले, यह तेरे लिए है।”
सुरेश ने चमकते हुए आँसू गिराए और राजू को धन्यवाद कहा। उसने अपना दोस्त को गले लगाया और कहा, “तू सचमुच मेरा अच्छा दोस्त है, जो मेरी मदद करता है और मेरे लिए अपना फूल तक छोड़ता है।”
सिख(Moral):
इस कहानी का सिख है कि हमेशा दूसरों की मदद करें और उन्हें खुश रखने की कोशिश करें। सच्चे दोस्ती में देने और सहायता करने का आनंद होता है।
10. मज़ाकर और मददगार: एक बच्चे की कहानी
बहुत समय पहले, एक छोटे से गांव में एक बच्चा नाम सोनू रहता था। सोनू बहुत अधिक दूसरों के आपमान करने की आदत रखता था। वह लोगों को परेशान करने में बहुत मज़ा आता था। उसकी एकमात्र ख़ुशी यही थी कि वह दूसरों की तंग अपने मज़े के लिए उड़ाता रहता था।
एक दिन, गांव में एक सभा आयोजित हुई, जिसमें सभी लोग एकत्रित हो गए। सभा में एक बड़ा विद्वान् महापुरुष भी मौजूद थे। सोनू ने इसका फायदा उठाते हुए सोचा, “चलो, इसे भी मैं उड़ाता हूँ।” वह बड़े गर्व से सबके सामने उठा और बोला, “महान आपके जैसे व्यक्ति को मैं भी कुछ सिखाता हूँ।”
महापुरुष ने मुस्काते हुए कहा, “ठीक है, मुझे अच्छी बातें सिखाइए।”
सोनू ने हंसते हुए कहा, “आप जानते हैं, मैं लोगों को परेशान करने में ख़ासा मज़ा लेता हूँ। उन्हें चिढ़ाता रहता हूँ और उनकी बदतमीज़ी करता हूँ।”
महापुरुष ने सोनू को गम्भीरता से देखा और कहा, “बच्चा, तुम जो करते हो, वह आदत नहीं है, बल्कि एक बुरी आदत है। जो लोग दूसरों की तंग करने में मज़ा लेते हैं, वे स्वयं खुश नहीं हो सकते। बदलो अपनी आदतें और अच्छे कर्म करो।”
सोनू ने सोचा और महापुरुष के शब्दों को समझा। उसने अपनी बुरी आदतों से अलविदा कह दी और अब से वह दूसरों की मदद करने और उनके साथ ख़ुश रहने का निर्णय लिया।
सिख(Moral):
इस कहानी का सिख है कि हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करें, और अपनी बुरी आदतों को छोड़कर उच्च मानसिकता वाले कर्म करें। दूसरों की तंग करने से अच्छा है, हमेशा सच्चे और मददगार होने का निर्णय लें।