class 2 short moral stories in Hindi 

class 2 short moral stories in Hindi बचपन सबसे अनमोल और यादगार अनुभवों का समय होता है, जब हम छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से अद्भुत सिख और मूल्यों को सीखते हैं। विशेष रूप से कक्षा 2 में, बच्चों की सोचने की क्षमता और समझ में वृद्धि होती है, और उन्हें छोटी मोरल कहानियों के माध्यम से अच्छे कार्यों की महत्वपूर्णता का अवबोधन होता है।

यह ब्लॉग पोस्ट उन छोटी सीखने वाली कहानियों का संग्रह करता है, जो कक्षा 2 के बच्चों को मनोवैज्ञानिक और नैतिक दृष्टिकोण से समृद्धि प्रदान करती हैं।

class 2 short moral stories in Hindi 

1. बंद आँखें, खुला मुँह

एक छोटे से गाँव में रहनेवाले एक मुरगे को अपनी आवाज पर बड़ा नाज था। एक दिन एक चालाक लोमड़ी उसके पास आई और बोली, “मुरगे महाशय ! सुना है, आपकी आवाज बड़ी प्यारी और बुलंद है !”

मुरगे ने गद्गद होकर अपनी आँखें मीचीं और ऊँची आवाज में चिल्लाया–कु कु डू…कूँ ! कुकुडू कूँ… पर तभी लोमड़ी ने फुरती से उसे अपने मुँह में दबोच लिया और जंगल की तरफ भाग चली।

गाँववालों की नजर उसपर पड़ी तो वे चिल्लाए, “पकड़ो, मारो ! यह तो हमारा मुरगा दबोचे लिये जा रही है।’ लोमड़ी ने उनकी चिल्लाहट पर ध्यान नहीं दिया।

यह देखकर मुरगा बोला, “लोमड़ी बहन, ये गाँववाले चिल्ला रहे हैं कि मेरा मुरगा दबोचे लिये जा रही है। आप इन्हें जवाब क्यों नहीं दे देतीं कि यह मुरगा आपका है, उनका नहीं?”

लोमड़ी को मुरगे की बात जम गई। उसने फौरन मुँह खोला और गाँववालों की ओर देखकर कहा, “भूल जाओ अपने मुरगे को। यह तो अब मेरा निवाला है।” पर यह कहने के साथ जैसे ही लोमड़ी का मुँह खुला, मुरगा उसके मुँह से छूट गया। वह सरपट भागा और अपने गाँववालों के पास पहुँच गया।

कहानी का सिख(Moral): हुमए क्रोध नहीं करना चाहिए। और अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए।

2. भूखा कूआँ

एक गरीब किसान का कूआँ सूख गया। उसने खुदाई की, पर पानी नहीं मिला। उसने सोचा, “यहाँ पानी कहाँ से आएगा?”

फिर उसने एक तीनके डालकर खुदाई की, पर फिर भी पानी नहीं निकला। उसका मन उदास हो गया।

तभी एक गधा वहाँ से गुजर रहा था। गधे ने किसान से पूछा, “आप क्या ढूंढ रहे हो?”

किसान ने दुखी मन से जवाब दिया, “मेरे कूआँ में पानी नहीं है। मैं कूआँ से पानी निकालना चाहता हूँ, लेकिन नहीं निकल रहा।”

गधे ने समझाया, “आप तीनके को और गहराई से खुदाईए, जल्द ही पानी मिल जाएगा।”

किसान ने उसकी सलाह मानी और जैसे ही वह तीनके से गहराई से खुदाई, पानी निकलने लगा। किसान बहुत खुश हुआ और गधे को धन्यवाद दिया।

कहानी का सिख(Moral): काभी काभी हुमए दूसरों की सलाह लेनी चाहिए।

3. उपकार का बदला

एक बार एक चींटी पानी पीते समय नदी में गिर गई। वह चिल्लाने लगी, “बचाओ, बचाओ।” नदी तट पर एक पेड़ पर बैठे कबूतर को उस पर दया आ गई और उसने एक पत्ता तोड़कर पानी में चींटी के पास फेंक दिया।

चींटी झट से पत्ते पर बैठकर बाहर निकल आई। बाहर आकर उसने कबूतर को धन्यवाद दिया और वादा किया कि एक दिन वह इस भलाई का बदला जरूर चुकाएगी।

कुछ दिनों बाद चींटी ने देखा कि शिकारी द्वारा फैलाए गए जाल में कबूतर फँस गया है। उसने तुरंत शिकारी के पैर में डंक मारा। शिकारी दर्द से कराहने लगा। शिकारी के हाथ से जाल छूट गया और मौका पाकर कबूतर जाल से निकलकर फुर्र से उड़ गया।

कहानी का सिख(Moral): जब दूसरे हमारी मदद करते है हमे उसका एहसान रखना चाहिए।

4. दोस्ती की मिठास

एक गांव में, दो बच्चे रामु और श्यामु बड़े ही अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ खेलते, पढ़ाई करते और दोस्ती का मिठा महसूस करते थे। उनके बीच कभी झगड़ा नहीं होता था।

एक दिन, रामु ने खिलौने का नया सेट खरीदा। उसमें बहुत से रंग-बिरंगे ब्लॉक्स थे। दोनों बच्चे बड़े मजे से उन ब्लॉक्स के साथ खेलने लगे।

खेलते-खेलते, श्यामु को अपने पुराने सेट से जलन होने लगी। उसके पास वह सेट बहुत समय से था और अब वह फीका लग रहा था।

श्यामु ने रामु से कहा, “तुम्हारा नया सेट बहुत खूबसूरत है। मेरे पास तो पुराना और फटे-पुराने खिलौने हैं। मुझे तुमसे जलन हो रही है।”

रामु ने प्यार से हँसते हुए कहा, “अरे दोस्त, इसमें जलने वाली कौन सी बात है? मेरे पास नया सेट होने के कारण मेरे पुराने सेट का कोई महत्व नहीं घटा। हम तो अब भी साथ मिलकर मस्ती कर सकते हैं ना। खिलौने से ज्यादा हमारी दोस्ती महत्वपूर्ण है।”

श्यामु ने गर्मी महसूस की और अपनी ज़िन्दगी की सबसे महत्वपूर्ण चीज को अनुभव किया – सच्ची दोस्ती की मिठास। उसने अपने दोस्त रामु के गले लगाकर धन्यवाद दिया।

कहानी का सिख: सच्ची दोस्ती में खिलौनों की कीमत नहीं होती। विश्वास, सम्मान और साथ देने की भावना होती है, जो हमेशा रिश्तों को मजबूत बनाती है।

कहानी का सिख(Moral): दोस्ती दुनिया का सबसे अनमोल तिहफ है।

5. मूर्ख मेंढक

एक गाँव में दो मेंढक रहते थे। एक मेंढक ने एक तालाब में अपना घर बनाया हुआ था, जबकि दूसरा मेंढक सड़क के किनारे एक कच्ची पगडंडी पर अपना घर बनाकर रहता था।

एक दिन तालाब में रहने वाले मेंढक ने दूसरे से कहा, “मित्र! तुम मेरे साथ तालाब में आकर रहो। तुम्हारा घर सुरक्षित नहीं है, क्योंकि पटरी पर सारा दिन रेलगाड़ियां और तांगे आदि चलते रहते हैं।

ऐसा न हो कि किसी दिन तुम किसी गाड़ी के नीचे आ जाओ।” दूसरा मेंढक बोला, “तुम बेवजह चिंता कर रहे हो। मैं कई सालों से यहाँ रह रहा हूँ और हमेशा यहीं रहूंगा।”

इसके कुछ दिनों बाद ही वह मेंढक एक गाड़ी के पहियों के नीचे कुचल कर मर गया।

कहानी का सिख(Moral): हमे दूसरों की सलाह माँ लेनी चाहिए।

6. लालची शेर

एक बार, एक जंगल में शेर रहता था। वह अक्सर अपनी भूक मिटाने के लिए जंगल में जानवरों को मारकर खाता था। एक गर्म के दिन उसे बहुत भूक लगी थी। वह भूक को मिटाने के लिए किसी जानवर के तलाश में था।

तब उसे एक पेड़ के निचे एक खरगोश दिखाई दिया। वह खरगोश पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगा और उसने खरगोश को अपने पंजो में दबोच लिया। शेर खरगोश को खाने वाला था तब उसकी नजर एक हिरन पर पड़ी और उसने इस नन्हे खरगोश से मेरा पेट नहीं भरेगा। और शेर हिरन के पीछे दौड़ने लगा।

लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद भी शेर हिरन को पकड़ नहीं सका। फिर थके हुए शेर ने हिरन का पीछा छोड़ा। अंत में अपनी गुफ़ा में वापस आया। और पछताने लगा।

कहानी का सिख(Moral): हमे लालच नहीं करनी चाहिए।

7. बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

कहानी का सिख(Moral): वास्तविक मजबूती न केवल बाहरी रक्षाओं में होती है, बल्कि बिना आवश्यक संघर्ष को बचाने की बुद्धि में भी।

8. राजू की समझदारी

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।

राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।

फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

कहानी का सिख(Moral):  स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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